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कोलकाता में एडिनोवायरस से डेढ साल के बच्चे की मौत

बुखार के साथ-साथ बच्चे को सांस लेने में तकलीफ थी। वहां स्थिति में सुधार नहीं होने पर बच्चे को कोलकाता के नेशनल मेडिकल कॉलेज में स्थानांतरित कर दिया गया। उसके बाद बच्चे को मेडिकल कॉलेज के मदर एंड चाइल्ड सेंटर में भर्ती कराया गया।

26 Feb 2023

कोलकाता में एडिनोवायरस से डेढ साल के बच्चे की मौत

पश्चिम बंगाल खासकर दक्षिण बंगाल में एडिनोवायरस जानलेवा बन गया है। रविवार को कोलकाता में फिर डेढ़ साल के बच्चे की मौत हो गई। बच्चे को सर्दी-बुखार होने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसका घर नदिया के कल्याणी में है। बुखार के साथ-साथ बच्चे को सांस लेने में तकलीफ थी। वहां स्थिति में सुधार नहीं होने पर बच्चे को कोलकाता के नेशनल मेडिकल कॉलेज में स्थानांतरित कर दिया गया। उसके बाद बच्चे को मेडिकल कॉलेज के मदर एंड चाइल्ड सेंटर में भर्ती कराया गया।

एडिनोवायरस के बढ़ते प्रकोप के बाद ही चिंताएं पैदा हुई हैं। राज्य का स्वास्थ्य विभाग पहले ही इसे लेकर निर्देशिका जारी कर चुका है। स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों को गाइडलाइंस भी जारी की है। राज्य भर में पिछले कुछ दिनों में एकाधिक एडिनोवायरस संक्रमण सामने आए हैं। हावड़ा के उदयनारायणपुर से 9 माह के बच्चे की मौत का भी मामला सामने आया है।

बुखार के साथ-साथ बच्चों में सांस की समस्या भी हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि एडिनोवायरस से संक्रमित होने पर बच्चों में यह समस्या देखी जा सकती है। बता दें कि ज्यादातर बच्चों में बुखार, सर्दी और सांस लेने की तकलीफ की शिकायतें मिली है। डॉक्टरों का कहना है कि यह वास्तव में कोरोना का ही एक रूप है। इस बीमारी के बढ़ने के बाद से अस्पतालों में मरीज भर्ती हैं। अस्पताल के बाल रोग विभाग में सामान्य बेड से पीडियोट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट भी बीमार बच्चों से भरा पड़ा है। स्थिति इतनी विकट हो गई है कि कई अस्पतालों में वेंटिलेटर का अभाव हो गया है। दवा की दुकानों से खांसी की दवाएं भी गायब हो गयी हैं।

एडिनोवायरस बढ़ने पर कोलकाता नगर के अधिकारी सतर्क हैं। निगम के डॉक्टरों और नर्सों को पहले ही दिशा-निर्देश दिए जा चुके हैं। चिकित्सा अधिकारियों द्वारा दिये गये दिशा-निर्देशों के अनुसार माता-पिता की बात मानकर बच्चों की जांच करायी जाये। यह सूचित किया जाना चाहिए कि क्या उपचार घर पर संभव है या अस्पताल ले जाना चाहिए। बच्चे की शारीरिक स्थिति की बारीकी से निगरानी की जानी चाहिए। अगर घर में रखा है तो माता-पिता को बताना चाहिए कि वे किन बातों का ध्यान रखेंगे। नर्सों को भी हिदायत दी गई है कि अस्पताल लाए जाने पर बच्चे पर नजर रखें।

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